आपने printer तो जरुर देखा होगा या फिर आपमे से बहुत से लोगो के printer जरुर होगा जिसकी मदद से आप अपने जरुरी चीजो को paper मे बडी आसानी से छाप सकते है ।
पर, आपने कभी सोचा है कि सबसे पहले इनको किसने बनाया होगा ? या फिर Printer कितने प्रकार के होते है ? या फिर ये कैसे काम करता है ? तो चलिये आज की इस Post पर हम आपको Printer से जुडी सभी महत्वपुर्ण जानकारी उप्लब्ध कराने की कोशिश करते है….
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Printer क्या है ? What is Printer ?
Printer एक Computer Output Device है जो Computer मे दिखाये जाने वाले चित्रो या लिखित सामग्री को Paper मे छापने के काम आता है । Printer को Soft Copy to Hard Copy Converter भी कहा जाता है |
Printer की खोज किसने की ? Who Invented Printer ?
सबसे पहले Printer को Chester Carlson ने सन् 1938 मे की थी।
Printer के प्रकार । Types of Printer
वैसे तो सभी Printer का काम Printing ही होता है लेकिन उनके काम करने के तरिको के आधार पर उन्हे दो भागो मे विभाजित किया गया है- Impact Printer और Non-Impact Printer.
Impact Printer
इस प्रकार के Printer मे एक Metal का Hammer लगा होता है जो विभिन्न Characters को कार्बन पट्टी या Black Ribbon के उपर जोर से Punch करके कागज़ पर Characters को छापता है । Impact Printer कई प्रकार के होते है-
Types of Impact Printer-
Dot Matrix Printer
– इस Printer के Print Header मे बहुत सारे छोटे-छोटे Pins होते है जो Matrix के रुप मे होते है जो Paper के उपर कार्बोन रिबन की मदद से छोटे-छोटे Dots Print करते है और बहुत सारे Dots मिलकर एक Character बनाते है इसलिये इसे Dot Matrix Printer कहा जाता है। इसके Print Header 7, 9, 14, 18, और 24 pins Horizontally सेट होते है जिनकी मदद से Printing होती है ।
Daisy Wheel Printer-
इस Printer के Print Header का आकार Daisy Flower (गुलबहार) के जैसे होता है जिसमे सारे Characters किनारे-किनारे होते है और उनके उपर एक छोटा सा Hammer लगा होता है। Command मिलने पर ये Characters गोल-गोल घुमकर hammer के निचे आते है और Hammer इनपर हल्की सी चोट कर Carbon-Ribbon की मदद से Charcters को Paper पर छापता है इसलिये इसे Daisy wheel Printer कहा जाता है ।
Line Printer-
इसे High-Speed Printer भी कहा जाता है क्योंकि यह Printer एक बार मे एक या दो शब्द नही बल्कि पुरे Sentence को एक बार मे Print करता है । इस Printer का उपयोग Large-Scale पर Printing के लिये किया जाता है ।
Line Printer तीन तरह के होते है-
Drum Printer-
इस Printer मे तेज़ी से घुमने वाला धातु का एक Drum होता है जिसकी सतह पर सारे Characters का एक Set एक Ring की तरह चढे होते है और ऐसे बहुत साते Rings का एक Set Drum के उपर लगा होता है और सारे Rings के उपर एक Hammer लगा होता है ।
Print Command मिलने पर ये Drum तेज़ी से घुमता है और Hammer की मदद से Characters के उपर चोट करके Carbon- Ribbon की मदद से उसे Paper पर Print किया जाता है ।
Chain Printer-
इस Printer मे तेज़ी से घुमने वाला एक Chain होता है जिसकी बाहरी सतह पर सारे Characters मौजुद होते है । इसमे Hammers का भी एक Set होता है।
Print Command मिलने पर यह Chain तेज़ी से घुमता है और Hammer छापे जाने वाले Characters पर चोट करता है जो Carbon-Ribbon की मदद से Paper पर छपता है ।
Band Printer-
इस Printer की बनावट भी Chain Printer की तरह ही होती है सिर्फ इसमे Chain की जगह Band का प्रयोग होता है ।
Non-Impact Printer
इस प्रकार के Printer मे Carbon-Ribbon या Print Header का प्रयोग नही होता है बल्कि इंसमे Laser-Printing का उपयोग किया जाता है। ये Printer बहुत तेज़ी से काम करते है और इनके गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है परंतु ये बहुत ही महंगे भी होते है ।
Non-Impact Printer कई प्रकार के होते है-
Laser-printer-
आज कल Laser printer का उपयोग बहुत ज़्यादा होता है। इस प्रकार के Printer मे कई सारे Micro-Processor, RAM, ROM का प्रयोग किया जाता है साथ ही Printing के लिये Cartridge का उपयोग किया जाता है जिसमे Ink powder भरा हुआ रहता है । इसकी मदद से हम Colour-Printing भी कर सकते है ।
Photo Printer-
Photo-Printer का उपयोग Photo-studio या Photo-Lab मे होता है । Printing के लिये इसमे बहुत सारे Nozzles लगे होते है जिनसे विभिन्न रंगो की स्याही की बुंदे निकलती है और paper पर स्पष्ट Printing होती है ।
Ink-jet Printer-
इसमे चार रंगो की स्याही का प्रयोग होता है- नीला, लाल, पीला और काला । इन्ही रंगो को आपस मे मिलाकर अन्य रंगो का निर्माण किया जाता है। इसमे लगे nozzle की सहायता से ink को paper पर फैला दिया जाता है और उनपर Pictures और Characters Print किये जाते है ।
इस printer की सबसे बडी समस्या यह है कि कुछ दिन लगातार इस्तेमाल न किये जाने पर इसके Nozzle के मुख पर स्याही जम जाती है जिसे Ink-Clogging कहा जाता है ।
Thermal-Transfer Printer
– इसे Wax Printer भी कहा जाता है। इसमे Wax-based paper पर Printing की जाती है । इससे Print किये गये Characters कुछ दिनो बाद अपने आप मिट जाते है । आज कल इन Printers का उपयोग Shopping-mall मे bill-printing के लिये और ATM मशिनो मे Transaction-slip Print करने के लिये किये जाते है ।
तो दोस्तो, उम्मिद करता हूँ कि आपको ये Post पसंद आया होगा । ऐसे ही रोचक जानकारी के लिये आप www.hindimeinsamjhe.com पर Visit करते रहे ।