मकर संक्रांति कब है 2022 मे ? (makar sankranti 2022 in hindi) हमारा देश भारत पर्व और त्योहारो का देश है । यहाँ सभी राज्यो के लोग हर महिने मे अलग-अलग त्योहार मनाते है । शायद ही कोई ऐसा दिन या महिना होता होगा जब कोई पर्व नही होता हो ।
यहाँ हर जाति और धर्म के लोग रहते है और वे अपने अलग-अलग तरीको से अपना त्योहार मनाते है और जब इन त्योहारो को सभी जाति-धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते है तो ये और भी ज़्यादा मज़ेदार और मनोरंजनपुर्ण हो जाता है ।
सभी पर्व और त्योहारो की तरह मकर संक्रांति भी भारत मे मनाया जाने वाला एक त्योहार ही है । जो देश के कई हिस्सो मे अलग-अलग नाम से जाना जाता है और अलग-अलग तरीको से मनाया जाता है । लेकिन क्या आप जानते है मकर संक्रांति कब है 2022 मे ?

आज हम जानेंगे कि मकर संक्रांति कब है 2022 मे ?, मकर संक्रांति का अर्थ क्या होता है? मकर संक्रांति क्यो मनाई जाती है? तो चलिये शुरु करते है-
Page Contents
मकर संक्रांति का क्या अर्थ होता है ?
मकर संक्रांति मे मकर शब्द का अर्थ मकर राशि होता है और संक्रांति का अर्थ प्रवेश करना होता है । इसका अर्थ है कि आज के दिन सुर्यदेव धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करते है । इसलिये इसे मकर संक्रांति कहा जाता है ।
मकर संक्रांति कब मनायी जाती है ?
प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को यह पर्व मनाया जाता है । हिंदु कैलेंडर के अनुसार के पौष मास मे मनाया जाता है । पर क्या आप जानते है कि मकर संक्रांति कब है 2022 मे ? अगर नही तो इसका जवाब आपको आगे मिलेगा –
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
14 जनवरी या 15 जनवरी को ही सुर्यदेव धनुराशि से मकर राशि मे प्रवेश करते है इसलिये आज ही के पुरे भारत देश मे यह पर्व मनाया जाता है ।
कुछ लोगो का यह भी मानना है कि सुर्यदेव के शनिदेव है और आज के दिन सुर्यदेव अपने पुत्र से मिलने उनके घर जाते है और जाते वक्त सुर्यदेव की उर्जा काफी तेज़ होती है । इसलिये आज के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है ।
मकर संक्रांति कब है 2022 मे ?
हर वर्ष की तरह मकर संक्राति 2022 मे 14 जनवरी को ही मनायी जायेगी । कभी-कभी किसी वर्ष यह 15 जनवरी को भी मनायी जाती है ।
मकर संक्रांति का 2022 मे शुभ मुहुर्त कब है ?
इस वर्ष 14 जनवरी को शुभ मुहुर्त या पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर शुरु होगा और यह शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा । जबकि महापुण्यकाल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक तथा दोपहर को 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा ।
घर मे मकर संक्रांति कैसे मनायी जाती है?
यह पर्व हर राज्य मे अलग-अलग तरिके से मनाया जाता है । लोग सुर्योदय होने से पहले उठते है और नहा-धोकर सुर्य देव को दीप दिखाकर जल डालते है । महिलाये भी एक-दुसरे के घर जाकर तिल और गुड से बनी गज़क बांटती है और लोकगीत गाती है ।
लोग आज के दिन की शुरुआत काली तिल से बनी गज़क खाकर करते है साथ मे दही-चुडा का भी सेवन किया जाता है ।
भारत में संक्रांति को दूसरे राज्यों में किन किन नामों से और कैसे मनाया जाता है ?
भारत एक बहुत बडा देश है जिसमे 28 राज्य है । मकर संक्रांति को हर राज्य मे अलग-अलग रिति-रिवाज़ो के साथ मनाया जात है । हम कुछ मुख्य राज्यो मे बारे मे ही चर्चा करेंगे-
पंजाब मे मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है ?
पंजाब और हरियाणा मे यह पर्व प्रतिवर्ष 13 जनवरी को लोहडी के रुप मे मनाया जाता है । इस दिन लोग दिन भर घर की सफाई और पुजा की तैयारी करते है और शाम होने पर आग जलाकर अग्निदेव की पुजा की जाती है । उन्हे तिल और गुड की बनी गज़क अर्पित किये जाते है ।
गुजरात मे मकर संक्रांति का त्योहार कैसे मनाया जाता है ?
गुजरात मे यह पर्व उत्तरायण के नाम से जाना जाता है । इस दिन लोग दिन-भर रंग-बिरंगे पतंग आसमान मे उडाते है । कई जगहो पर तो पतंग-प्रतियोगिता भी रखी जाती है जिसमे जितने वाले को आकर्षक उपहार भी दिये जाते है । लोग पतंगो के माध्यम से अपनी प्रार्थना अपने ईश्वर तक पहुंचाते है ।
तमिलनाडू मे मकर-संक्रांति का त्योहार किस नाम से जाना जाता है ?
तमिलनाडू मे मकर-संक्रांति पोंगल के नाम से जाना जाता है । यह पर्व पुरे चार दिनो तक मनाया जाता है और हर दिन का अलग-अलग नाम और रिति-रिवाज़ के साथ मनाते है । पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है, दुसरे दिन को सुर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहा जाता है ।
तमिलनाडू की मुख्य फसल गन्ना और धान है । फसल अच्छी होने के खुशी मे किसान नये बर्तनो मे गुड और चावल से बने पकवान को सुर्यदेव और इंद्रदेव को चढाकर उनके प्रति अपने आभार को व्यक्त करते है ।
राज्यस्थान मे मकर-संक्रांति कैसे मनायी जाती है ?
राज्यस्थान मे इस दिन लोग शाम मे आग जलाकर अग्निदेव की पुजा करते है और महिलाये लोकगीत गाती है । आज के दिन लोग सरसो का साग और मक्के की रोटी का आनंद लेते हुये इस पर्व को मनाते है ।
असम मे मकर-संक्राति कैसे मनाया जाता है?
असम मे यह पर्व बिहु के नाम से जाना जाता है । यह पर्व पुरे एक सप्ताह तक मनाया जाता है । इस पुरे सप्ताह लोग अलग-अलग तरह से तरह के पकवान खाते है और एक-दुसरे को खिलाते है ।
कुमाऊं मे मकर-संक्रांति को क्या कहा जाता है ?
उत्तराखंड राज्य के एक शहर कुमाऊं मे मकर-संक्रांति को धुधुतिया कहा जाता है । यह पर्व मुख्य रुप से कौवे से जुडा हुआ है । इसदिन लोग अनेक प्रकार के भोजन बना कर कौवे को खिलाते है ।
मकर-संक्रांति का क्या महत्व है ?
सभी त्योहारो की तरह मकर-संक्रांति भी पुरे देश मे अलग-अलग नामो और रिति-रिवाज़ो के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है । किसी राज्य मे यह पोंगल के रुप मे मनाया जाता है तो किसी राज्य मे बिहू के रुप मे । कुछ लोग इसे उत्तरायण के नाम से जानते है तो कुछ लोग लोहडी के रुप मे मनाते है यह हम भारतीयो की एकता और अखण्डता को दर्शाता है ।
कुछ लोगो का तो यह भी मानना है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा नदी धरती पर आयी थी । मकर संक्रांति को लेकर लोगो के मन मे बहुत सारी अवधारणाये है परंतु सबसे बडी बात यह है कि इस दिन पुरा भारतवर्ष एक होकर इस पर्व को हर्ष और उत्साह के साथ मनाता है ?
Father’s Day कब और क्यो मनाया जाता है?
तो ये थी मकर संक्रांति कब है 2022 मे ? से जुडी सभी जानकारी । उम्मिद करता हूँ कि आपको यह post पसंद आया होगा । ऐसे ही रोचक जानकारी हिंदी भाषा मे पाने के लिये आप हमारी वेबसाइट जरुर देखे । आप अपने सुझाव comment-box मे दे सकते है।